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staurikosaurus – गूगल स्टॉरिकोसॉरस क्यों मना रहा है ?

staurikosaurus – गूगल स्टॉरिकोसॉरस क्यों मना रहा है ?

staurikosaurus – गूगल स्टॉरिकोसॉरस क्यों मना रहा है ? इसके पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि, मुझे लगता है कि यह शायद इस डायनोसोर के बारे में जानकारी खोजने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए एक खोज परिणाम हो सकता है ।

https://g.co/doodle/sf9e5sx

19 अक्टूबर को, सर्च इंजन दिग्गज ने स्टॉरिकोसॉरस की खोज का सम्मान किया, जो एक प्रारंभिक थेरोपोड डायनासोर था। इस खोज को पुरातत्व में एक युगांतरकारी घटना माना गया क्योंकि इसने महान सरीसृपों के विकास पर प्रकाश डाला 

staurikosaurus - गूगल स्टॉरिकोसॉरस क्यों मना रहा है ?
staurikosaurus – गूगल स्टॉरिकोसॉरस क्यों मना रहा है ?

स्टॉरिकोसॉरस एक प्रकार का डायनोसोर है जो ट्राईसिक काल में लगभग 230 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर रहता था। इसका नाम ग्रीक शब्द “स्टॉरिकोस” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सितारों का साँप”। यह लगभग 10 मीटर लंबा और 2 टन वजन का था, और इसका शरीर लंबा और पतला था, जिसमें एक लंबी गर्दन और पूंछ थी ।

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अगर आपको स्टॉरिकोसॉरस के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो मैं आपको बता सकता हूँ कि यह एक शाकाहारी डायनोसोर था जो पौधों को खाता था। इसके दांत तेज और नुकीले थे, और इसका सिर छोटा और त्रिकोणीय था ।

स्टॉरिकोसॉरस एक प्रकार का डायनोसोर है जो ट्राईसिक काल में लगभग 230 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर रहता था। इसका नाम ग्रीक शब्द “स्टॉरिकोस” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सितारों का साँप”।

स्टॉरिकोसॉरस की विशेषताएं:

1. आकार: यह लगभग 10 मीटर लंबा और 2 टन वजन का था।
2. शरीर: इसका शरीर लंबा और पतला था, जिसमें एक लंबी गर्दन और पूंछ थी।
3. सिर: इसका सिर छोटा और त्रिकोणीय था।
4. दांत: इसके दांत तेज और नुकीले थे।
5. खुराक: यह शाकाहारी था और पौधों को खाता था।

स्टॉरिकोसॉरस की खोज:

स्टॉरिकोसॉरस की खोज पहली बार 1966 में ब्राजील में हुई थी। इसके अवशेषों को पैलियोन्टोलॉजिस्ट ल्यूис अल्बर्टो द्वारा खोजा गया था।

स्टॉरिकोसॉरस का महत्व:

स्टॉरिकोसॉरस एक महत्वपूर्ण डायनोसोर है, जो ट्राईसिक काल के जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इसकी खोज ने डायनोसोर के विकास और विविधता के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया है।

स्टॉरिकोसॉरस का खाना!

स्टॉरिकोसॉरस एक शाकाहारी डायनोसोर था, जिसका अर्थ है कि यह पौधों को खाता था। इसका मुख्य भोजन संभवतः निम्नलिखित था:

1. पत्तियाँ
2. फल
3. बीज
4. पौधों के तने
5. जड़ें
6. शैवाल

स्टॉरिकोसॉरस के खाने की आदतें:

1. यह एक बड़ा खाने वाला था, जो अपने शरीर के आकार के अनुसार बहुत खाता था।
2. यह अपने दांतों का उपयोग करके पौधों को तोड़ता और खाता था।
3. यह संभवतः अपने खाने को पचाने के लिए एक लंबी पाचन प्रणाली का उपयोग करता था।
4. यह अपने खाने को ढूंढने के लिए अपनी लंबी गर्दन और पूंछ का उपयोग करता था।

स्टॉरिकोसॉरस के खाने के स्रोत:

1. पौधों के जंगल
2. वनस्पति वाले क्षेत्र
3. नदी के किनारे
4. झीलों के आसपास

इसकी खोज ने डायनोसोर के विकास और विविधता के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया है।

स्टॉरिकोसॉरस की शान में आज गूगल ने बदला अपना डूडल, देखिए कैसे आया नजर

आज 19 अक्टूबर का गूगल का डूडल स्टॉरिकोसॉरस (डायनासोर) की अभूतपूर्व खोज को लेकर जश्न मना रहा है। इसके लिए उसने कुछ स्लाइड के साथ वीडियो भी दिया है।

Google Doodle 19 October:जैसा कि, गूगल समय-समय पर अपने डूडल में बदलाव करता है इसमें वह किसी के बर्थ एनिवर्सरी हो या दुनिया की कोई खास घटना हर किसी के लिए वह दिन को सेलिब्रेट करता है। डूडल हर दिन को बड़े ही शानदार ढंग से पेश करता है जिसे देखने पर यूजर्स बड़ी जानकारियां पाते है। आज 19 अक्टूबर का गूगल का डूडल स्टॉरिकोसॉरस (डायनासोर) की अभूतपूर्व खोज को लेकर जश्न मना रहा है। इसके लिए उसने कुछ स्लाइड के साथ वीडियो भी दिया है।

कैसा है गूगल का डूडल

यहां पर आज के गूगल के डूडल पर नजर डाले तो आपको कुछ बदला-बदला सा नजर आता है गूगल ने आज का डूडल स्टॉरिकोसॉरस की खोज को समर्पित किया है जिसमें एनिमेटेड डूडर में आप इसके बारे में कई जानकारियां पा सकते है। इस एनिमेटेड वीडियों में स्टॉरिकोसॉरस डायनासोर को प्रागैतिहासिक परिदृश्य (Prehistoric Landscape) में दौड़ते हुए दिखाया गया है. यह डायनासोर की गति और चपलता के साथ-साथ उसकी विशिष्ट लंबी पूंछ और द्विपाद रुख पर भी प्रकाश डालता है. डूडल में डायनासोर के दांतेदार दांत (Dinosaur’s Serrated Teeth) भी दिखाए गए हैं, जो उसके शिकारी स्वभाव का संकेत देते हैं।

1936 में इस डायनासोर का लगाया था पता

इस स्टॉरिकोसॉरस डायनासोर को लेकर जानकारी मिलती है कि, सन् 1936 में जीवाश्म विज्ञानी लेवेलिन आइवर प्रिंस ने दक्षिणी ब्राजील के सांता मारिया फॉर्मेशन में एक उल्लेखनीय जीवाश्म नमूने का पता लगाया था कहा था कि, इस डायनासोर के अवशेष मिलते है। कहा जाता है कि,वैज्ञानिकों की इस खोज को बाद में स्टॉरिकोसॉरस के रूप में पहचाना गया, जो डायनासोर के विकास की हमारी समझ में आधारशिला बन गई है। इसके अलावा यह भी कहते हैं कि, रेडियोकार्बन डेटिंग तकनीकों से पता चला कि स्टॉरिकोसॉरस लगभग 225 मिलियन वर्ष पहले, ट्राइसिक काल के अंत में रहते थे. इस प्राचीन शिकारी को ‘दक्षिणी क्रॉस छिपकली’ कहा जाता है।


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