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South Korea: दक्षिण कोरिया में लगा आपातकालीन मार्शल लॉ, राष्ट्रपति सुक-योल ने की घोषणा; विपक्ष पर लगाए आरोप

South Korea martial law: दक्षिण कोरिया में लगा आपातकालीन मार्शल लॉ, राष्ट्रपति सुक-योल ने की घोषणा; विपक्ष पर लगाए आरोप

South Korea: दक्षिण कोरिया में लगा आपातकालीन मार्शल लॉ, राष्ट्रपति सुक-योल ने की घोषणा; विपक्ष पर लगाए आरोपSouth Korea: दक्षिण कोरिया में लगा आपातकालीन मार्शल लॉ, राष्ट्रपति सुक-योल ने की घोषणा; विपक्ष पर लगाए आरोप

South Korea: दक्षिण कोरिया में लगा आपातकालीन मार्शल लॉ, राष्ट्रपति सुक-योल ने की घोषणा; विपक्ष पर लगाए आरोप

क्या होता है मार्शल लॉ? जिसे लगाने पर साउथ कोरिया में मचा बवाल, कई नेताओं ने तो सत्ता भी गंवाईं

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने अचानक ही देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया. इस ऐलान के देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन होने लगे. नेशनल असेंबली में मार्शल लॉ के न स्वीकारने का बिल भी पास हो गया. इन सब बवाल के बीच आखिरकार राष्ट्रपति यून को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. ऐसे में इस खबर में समझेंगे कि मार्शल लॉ क्या है? साथ ही इससे जुड़ी कई और बारींकियों को भी जानेंगे.

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने आश्चर्यजनक रूप से देर रात टेलीविजन पर संबोधित करते हुए देश में मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा कर दी. उन्होंने इसे उत्तर कोरिया की ‘कम्युनिस्ट ताकतों’ और ‘राष्ट्रविरोधी तत्वों’ से सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया. हालांकि उनके इस ऐलान के महज ढाई घंटे में ही नेशनल असेंबली के 190 सदस्य ने मार्शल लॉ को हटाए जाने को लेकर वोट किया. देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन होने लगें. वहां की जनता सड़कों पर उतार आई. संसद के सामने विपक्षी नेताओं ने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.

इसके बाद, इन सब बवाल के बीच आखिरकार राष्ट्रपति को अपना फैसला वापस ही लेना पड़ा. देर रात उन्होंने मार्शल लॉ को वापस लेने का आदेश दे दिया. खैर ये तो बात हो गई साउथ कोरिया में कैसे मार्शल लॉ लगा और कब हटा? इस घटना के बाद मार्शल लॉ शब्द सबसे ज्यादा प्रचलन में रहा. ऐसे में इस खबर में समझेंगे कि ये मार्शल लॉ क्या है? इसके साथ ही इससे जुड़ी कई और बातों को भी बारींकियों को समझेंगे.

मार्शल लॉ क्या है?

मार्शल लॉ एक अस्थायी आपातकालीन स्थिति है, जिसे किसी सरकार द्वारा देश में किसी तात्कालिक खतरे या सुरक्षा संकट के जवाब में लागू किया जाता है. जब मार्शल लॉ लागू होता है, तो सेना का प्रशासन सामान्य नागरिक कामों का नियंत्रण संभालता है. साथ ही राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सेना के हाथों में चली जाती है. इसके तहत नागरिक स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध, कर्फ्यू, और कानून व्यवस्था के लिए सैन्य बलों की तैनाती की जाती है.

मार्शल लॉ आमतौर पर तब लागू किया जाता है जब सरकार को बड़े पैमाने पर नागरिक अशांति, प्राकृतिक आपदाओं, या आक्रमण के खतरे का सामना करना पड़ता है. यह स्थिति आमतौर पर एक आखिरी उपाय के रूप में अपनाई जाती है, जब अन्य सभी प्रयोग विफल हो जाते हैं. मार्शल लागू करते समय साउथ कोरिया के राष्ट्रपति का भी यही कहना था कि देश को बचाने के लिए उनके पास ये आखिरी उपाय बचा था.

इतिहास में मार्शल लॉ का प्रभाव

साउथ कोरिया के इतिहास में मार्शल लॉ का अहम स्थान रहा है, खासकर राष्ट्रीय संकट और अधिनायकवादी शासन के दौर में. यह अक्सर राजनीतिक तनाव, जन आंदोलन या राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे के समय लागू किया गया. कई बार कोरियाई युद्ध के दौरान मार्शल लॉ को लागू किया गया है.

साल 1950-53 के कोरियाई युद्ध के दौरान, राष्ट्रपति सिंगमन री ने युद्ध के हालात को संभालने के लिए मार्शल लॉ लागू किया. इस दौरान सरकार ने व्यापक शक्तियां संभाल लीं, जिनमें सेंसरशिप, बिना न्यायिक प्रक्रिया के गिरफ्तारी और नागरिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध शामिल थे.

1960 का अप्रैल क्रांति और मार्शल लॉ

साल 1960 में सिंगमन री के चुनावी धोखाधड़ी और अधिनायकवाद के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी मार्शल लॉ लागू किया गया. हालांकि, जनता का विरोध इतना तेज था कि री को पद छोड़ना पड़ा. इस घटना ने दिखाया कि मार्शल लॉ जहां व्यवस्था बहाल कर सकता है, वहीं यह जनता में आक्रोश भी बढ़ा सकता है.

साल 1961 में जनरल पार्क चुंग-ही ने सैन्य तख्तापलट के जरिए सत्ता संभाली और मार्शल लॉ को देशव्यापी स्तर पर लागू किया. उन्होंने इसे स्थिरता बहाल करने और भ्रष्टाचार से निपटने का जरिया बताया. उनके शासन में मार्शल लॉ का बार-बार इस्तेमाल राजनीतिक विरोध और आंदोलनों को दबाने के लिए किया गया.

साल 1980 में राष्ट्रपति पार्क चुंग-ही की हत्या के बाद जनरल चुन दू-ह्वान ने मार्शल लॉ लागू कर सत्ता पर कब्जा किया. ग्वांगजू विद्रोह के दौरान इस कदम के खिलाफ भारी विरोध हुआ. विद्रोह को कुचलने के लिए तैनात सैनिकों ने सैकड़ों नागरिकों की हत्या कर दी. यह घटना दक्षिण कोरिया के इतिहास का एक काला अध्याय है.

साल 1987 में लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों ने दक्षिण कोरिया में सैन्य शासन को चुनौती दी. इन आंदोलनों के बाद देश ने एक नई लोकतांत्रिक संविधान को अपनाया और सीधे राष्ट्रपति चुनाव शुरू हुए. हालांकि, इस दौरान सरकार ने मार्शल लॉ जैसी कठोर रणनीतियों का इस्तेमाल किया.

आधुनिक कोरिया में मार्शल लॉ

दक्षिण कोरिया के लोकतांत्रिक बनने के बाद मार्शल लॉ को केवल गंभीर राष्ट्रीय आपातकाल के लिए आरक्षित कर दिया गया. लेकिन यह अब भी एक विवादास्पद मुद्दा है, क्योंकि यह मानवाधिकारों के उल्लंघन और दमन की याद दिलाता है.

South Korea: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने विपक्ष पर राज्य विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए आपातकालीन सैन्य कानून लागू करने की घोषणा की। एसोसिएटेड प्रेस ने यह जानकारी दी। 

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार को आपातकालीन सैन्य कानून (मार्शल लॉ) लागू करने की घोषणा की। उन्होंने देश के विपक्ष पर संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखने और राज्य विरोधी गतिविधियों के जरिए सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया। 

संविधान की रक्षा के लिए यह कदम जरूरी: राष्ट्रपति यून
राष्ट्रपति यून ने एक टेलीविजन कार्यक्रम के जरिए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह कदम देश के संविधान और कानून को बचाने के लिए जरूरी है। हालांकि, यह अभी तत्काल स्पष्ट नहीं है कि इस फैसले का देश की सरकार और लोकतंत्र पर क्या असर पड़ेगा। यून ने साल 2022 में राष्ट्रपति का पद संभाला था। तबसे उन्हें मजबूत विपक्ष के कारण अपनी नीतियों को लागू करने में मुश्किलें हो रही थीं। 
विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों ने बुलाई बैठक
यह घोषणा ऐसे समय की गई है जब राष्ट्रपति यून सुक-योल की पीपुल पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अगले साल के बजट विधेयक को किसी समझौते पर नहीं पहुंच पा रही हैं। इसके अलावा, यून ने अपनी पत्नी और कुछ शीर्ष अधिकारियों से जुड़े कथित घोटालों की स्वतंत्र जांच कराने की मांगों को खारिज किया है, जिसके कारण उन्हें विरोधियों की कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, यून की घोषणा के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने सांसदों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई। 1980 के बाद यह पहली बार है, जब दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ घोषित किया गया है। 
संसद में इस  फैसले के खिलाफ मतदान हुआ है। संसद के ऊपर हेलीकॉप्टर तैनात किए गए। सेना ने कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में भी  लिया है। मार्शल लॉ लागू करने के विरोध में दक्षिण कोरियाई संसद के बाहर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प की घटनाएं भी हुईं। 
मार्शल लॉ लगने के बाद देश में क्या पाबंदियां रहेंगी
मार्शल लॉ के लागू होने के बाद रैलियों और प्रसारण पर पाबंदी रहेगी। इसके अलावा नेशनल असेंबली, स्थानीय परिषदों और राजनीतिक दलों, प्रदर्शनों सहित सभी गतिविधियों पर भी प्रतिबंध रहेगा। फेक न्यूज और झूठे प्रचार पर भी रोक रहेगी। सभी मीडिया और प्रकासन मार्शल लॉ के तहत नियंत्रित रहेंगे। हड़ताल और काम रोकने पर कार्रवाई होगी। हड़ताली चिकित्सा कर्मियों दो दिन के भीतर अपने काम पर वापस लौटना होगा। उल्लंघन करने पर मार्शल लॉ के तहत सजा मिलेगी।

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