Dussehra 2024: दशहरा पूजन आज
Dussehra 2024: दशहरा पूजन आज
dussehra-2024 दशहरा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जिसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व दो मुख्य पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है:
1.रामायण की कथा: दशहरा को सबसे अधिक रामायण से जुड़ी कथा के कारण मनाया जाता है। इसके अनुसार, भगवान राम ने रावण, जो लंका का राजा था, का वध किया था। रावण ने राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया था, और राम ने अपने भाई लक्ष्मण और हनुमान की मदद से एक विशाल सेना बनाकर रावण को हराया। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है, जहां भगवान राम को धर्म और सत्य का प्रतीक माना जाता है और रावण को अधर्म और बुराई का प्रतीक।
2. महिषासुर और देवी दुर्गा की कथा: कुछ स्थानों पर दशहरा देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत के रूप में भी मनाया जाता है। महिषासुर एक असुर (राक्षस) था जिसने देवताओं को परेशान किया था, और तब देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर के साथ युद्ध किया और दसवें दिन उसे मार गिराया। इसे शक्ति और साहस की विजय के रूप में मनाया जाता है।
“विजयादशमी”
इसलिए,, दशहरा को “विजयादशमी” के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है “विजय का दसवां दिन”। यह त्योहार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है, और नवरात्रि के नौ दिनों की समाप्ति के बाद मनाया जाता है। इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो बुराई के नाश का प्रतीक है।
दशहरा हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे बुराई कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो।
दशहरा 2024 – तिथि और समय
इस वर्ष दशहरा शनिवार, 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। दशहरा पूजा करने का शुभ समय, जिसे विजय मुहूर्त कहा जाता है, दोपहर के समय माना जाता है। इस मुहूर्त का समय सामान्यतः स्थानीय पंचांग के अनुसार गणना की जाती है, जो स्थान के आधार पर थोड़ी भिन्न हो सकती है। इस मुहूर्त में पूजा और अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
दशहरे का सांस्कृतिक महत्व
दशहरा परिवारों और समुदायों को एक साथ लाता है। यह खुशियों, प्रार्थनाओं और मेल-जोल का समय होता है। कई लोग भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की पीतल की मूर्तियाँ अपने घरों या मंदिरों में स्थापित करने के लिए खरीदते हैं। देवी दुर्गा की पीतल की मूर्तियाँ भी लोकप्रिय होती हैं, क्योंकि वह सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं।
हालांकि दशहरा मुख्य रूप से भारत में मनाया जाता है, नेपाल, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भी इसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है।
अच्छाई पर बुराई की जीत
दशहरा केवल एक उत्सव नहीं है; यह हमें सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीत हासिल करती है। भगवान राम द्वारा रावण को हराने की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि हमें अपने जीवन में दया, प्रेम और न्याय के साथ जीना चाहिए। यह लोगों को अपने जीवन पर विचार करने और क्रोध, अहंकार और लालच जैसी नकारात्मक भावनाओं से छुटकारा पाकर खुद को सुधारने के लिए प्रेरित करता है।
बन रहे हैं ये शुभ योग
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग का संयोग दिन भर है। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग भी दिन भर है। इस योग का समापन 13 अक्टूबर को होगा। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग को बेहद शुभ माना जाता है। इन योग में मंगलकार्य कर सकते हैं। साथ ही खरीदारी कर सकते हैं। इस शुभ तिथि पर खरीदारी करना बेहद शुभ होता है। इसके साथ ही दशहरा पर श्रवण नक्षत्र का धनिष्ठा से भी संयोग बन रहा है। आज के दिन तुला राशि में बुध और शुक्र के मिलन से लक्ष्मी-नारायण योग बन रहा है। कुल मिलाकर कहें तो वर्षों बाद दशहरा पर एक साथ 4 मंगलकारी योग बन रहे हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। toofannews इसकी पुष्टि नहीं करता है।
Discover more from toofan news
Subscribe to get the latest posts sent to your email.